बाज़ार में गिरावट के दौरान इन गलतियों से बचें

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शेयर बाज़ार में निवेश करना आपके पैसे को बढ़ाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है। लेकिन जब बाज़ार में गिरावट आती है—यानी जब शेयरों की कीमतें गिरती हैं—तो डर और गलत जानकारी के कारण कई लोग गलत फैसले कर लेते हैं। इन आम गलतियों को समझकर आप बेहतर निवेश निर्णय ले सकते हैं और अपने वित्तीय लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं।

1. घबराहट में शेयर बेचना

कल्पना करें कि आपने किसी कंपनी के शेयर खरीदे हैं, और अचानक बाज़ार गिरने लगता है जिससे आपके शेयरों की कीमत कम हो जाती है। इस स्थिति में कई लोग डर के कारण अपने शेयर बेच देते हैं ताकि और नुकसान न हो। इसे पैनिक सेलिंग कहा जाता है। डर के कारण बेचे गए शेयरों से अक्सर नुकसान होता है क्योंकि बाज़ार समय के साथ फिर से सुधरता है। इसलिए, हमेशा धैर्य बनाए रखें और छोटी अवधि के उतार-चढ़ाव के आधार पर जल्दबाज़ी में निर्णय न लें।

2. बाज़ार के उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाने की कोशिश

कुछ लोग सोचते हैं कि वे पहले से ही पता कर सकते हैं कि बाज़ार कब ऊपर जाएगा और कब गिरेगा, और उसी हिसाब से खरीद-बिक्री कर सकते हैं। इसे बाज़ार का समय तय करना (मार्केट टाइमिंग) कहा जाता है। लेकिन हकीकत में, यह बहुत मुश्किल होता है और ज्यादातर लोग इसमें असफल रहते हैं। इसके बजाय, लंबे समय तक निवेश बनाए रखना ज़्यादा फायदेमंद होता है, जिससे आपका पैसा धीरे-धीरे बढ़ सकता है।

3. भीड़ का अनुसरण करना

जब बहुत सारे लोग किसी विशेष स्टॉक को खरीदते हैं, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है और यह और अधिक निवेशकों को आकर्षित करता है। इसे हर्ड मेंटलिटी (झुंड मानसिकता) कहा जाता है। लेकिन कभी-कभी यह स्टॉक वास्तविक मूल्य से अधिक महंगे हो जाते हैं और बाद में उनकी कीमत गिर जाती है। इसलिए, केवल इस वजह से निवेश न करें कि सभी लोग कर रहे हैं। पहले खुद रिसर्च करें और सुनिश्चित करें कि निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुसार है।

4. निवेश में विविधता (डाइवर्सिफिकेशन) न रखना

अगर आप अपनी सारी पूंजी केवल एक ही स्टॉक में लगा देते हैं और वह अच्छा प्रदर्शन नहीं करता, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए, अपने पैसे को अलग-अलग निवेशों में लगाना चाहिए, जैसे कि स्टॉक्स, बॉन्ड्स और अन्य संपत्तियाँ। इससे जोखिम कम हो जाता है क्योंकि अगर एक निवेश अच्छा नहीं करता, तो दूसरा कर सकता है।

5. निवेश की बुनियादी बातें न समझना

बाज़ार में गिरावट के दौरान अपने निवेश के मूल सिद्धांतों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। कंपनी की वित्तीय स्थिति, कमाई और विकास क्षमता को देखना चाहिए, न कि सिर्फ बाज़ार के रुझानों को। अच्छी रिसर्च के आधार पर निर्णय लेने से अनावश्यक नुकसान से बचा जा सकता है।

6. भावनाओं के आधार पर निर्णय लेना

निवेश करते समय डर और लालच जैसी भावनाएँ हावी हो सकती हैं। जब बाज़ार गिरता है, तो लोग घबरा जाते हैं और जब यह बढ़ता है, तो बिना सोचे-समझे निवेश कर लेते हैं। लेकिन, भावनाओं के आधार पर लिए गए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं। एक अच्छा निवेशक वही होता है जो एक ठोस योजना बनाकर उस पर टिका रहता है।

7. अपने निवेश पोर्टफोलियो की नियमित समीक्षा न करना

आपके निवेश को समय-समय पर जांचना ज़रूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आपके लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता के अनुसार हैं। इसका मतलब यह नहीं कि हर छोटे बदलाव पर आप निवेश बदलें, बल्कि समय-समय पर इसकी समीक्षा करें और ज़रूरत हो तो बदलाव करें।

8. नकदी (लिक्विडिटी) के महत्व को न समझना

लिक्विडिटी का मतलब है कि आप अपने निवेश को कितनी आसानी से नकद में बदल सकते हैं। बाज़ार में गिरावट के दौरान, आपके पास कुछ नकद या लिक्विड संपत्तियाँ होनी चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप नुकसान में निवेश बेचने के बजाय आसानी से पैसे निकाल सकें।

निष्कर्ष

बाज़ार में उतार-चढ़ाव सामान्य हैं और हर निवेशक को इनसे गुज़रना पड़ता है। अगर आप इन आम गलतियों से बचते हैं, तो आप बाज़ार में होने वाली गिरावटों को आसानी से संभाल सकते हैं। सफल निवेश वही होता है जिसमें धैर्य, अनुशासन और दीर्घकालिक लक्ष्य पर ध्यान दिया जाता है, न कि केवल बाज़ार के छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव पर प्रतिक्रिया दी जाती है।